Wednesday, 16 July 2014

Sex Knowledge in Hindi

साथी के साथ सेक्स का भरपूर आनंद ...

how to satisfy women during sex
जीवन साथी के साथ सेक्स का भरपूर आनन्द लेना कोई गलत काम नहीं है, मगर बर्बरतापूर्ण संबंध बनाना साथी के सेक्स एडिक्ट होने को दर्शाता है। यौन विकृ तियों और सेक्स एडिक्ट व्यक्तियों की संख्या दिनोंदिन बढती जा रही है। सेक्स के प्रति आकर्षित होना एक सामान्य बात है लेकिन जब यह आकर्षण पागलपन की हद तक बढ जाए तो उसे सेक्स फीवर का नाम दिया जाता है और इस कामवासना से ग्रस्त व्यक्ति को सैक्स एडिक्ट के नाम से पुकारा जाता है। सैक्स एडिक्ट महिला या पुरूष किसी भी तबके का, शिक्षित, अशिक्षित कोई भी हो सकता है। सैक्स एडिक्ट आमतौर पर सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं। किसी को देख कर सहज ही यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति सैक्स एडिक्ट है या नहीं, मगर समय विशष पर लाल आंखें, अस्वाभाविक तरीकों से ताकना, जबरन विपरीत लिंगी के संपर्क में रहने की कोशिश करना, अपने अंग को जबरन किसी महिला, युवती या बच्चाी छुआना, कहीं भी किसी भी स्थान पर मौका मिलते ही उम्र का लिहाज न करते हुए महिला को रोमांटिक इशारे करना, किसी भी विपरीत लिंगी के अंग को जबरन छेडना, छूना, मौका मिलते ही अपने अंग की नुमाइश करना, शराब पीने-पिलाने की कुचेष्टा करना, रोमांटिक डायलॉगबाजी करके किसी भी साधारण बात के अर्थ को अनर्थ में बदलना आदि कुछ ऎसी अस्वाभाविक हरकतें हैं, जिनसे पता चल सकता है कि अमुक महिला या पुुरूष सेक्स एडिक्ट है। .Sex Knowledge in Hindi, sex in hindi, sex story in hindi, how to last longer sex, sex ka bharpoor maza, stop premature ejaculation,sex spray for last longer in bed 
ज्वलंत कामवासना- ये विपरीत लिंगी की उम्र, इच्छा, समय तथा परिस्थिति का भी ध्यान नहीं रखते, इन्हें तो केवल अपनी ही कामवासना को ही शान्त करने का ध्यान रहता है। कभी-कभी तो पागल, कम उम्र की बच्चायां, रिश्तेदार महिलाएं, यहां तक कि बहनें और भाभियां भी ऎसे व्यक्ति की वासना का शिकार बन जाती हैं। कई लोगों को संभोगरत जोडों को चोरी छिपे देखने में मजा आता है। ये ब्लू फिल्में, अश्लील तस्वीरें इत्यादि देखने के शौकीन होते हैं और अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए पानी की तरह धन लुटाते हैं। सेक्स एडिक्ट की शिकार महिला को भी कभी-कभी इस रतिसुख में मजा आने लगता है व तब और भी जटिल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं क्योंकि इस तरह से एक नए सेक्स एडिक्ट का जन्म होता है। कुछ महिला पैसों के लालच में, तो कुछ बदनामी के डर से कई वर्षो तक ऎसे पुरूषों का सहयोग करती रहती हैं। कम उम्र की लडकियां तो कभी-कभी स्वयं ही कामी पुरूषों के जाल में फंस जाती हैं और अपनी कामवासना की सतुष्टि करवाती हैं। कई बार घर की अन्य महिलाएं भी घर की बात बाहर न चली जाए, इस डर के कारण अनजान बनी रहती हैं। इतना ही नही कई बार तो सैक्स एडिक्ट परिवार के सदस्य की मदद करती भी देखी गई हैं। खासकर उन पुरूषों की पत्नियां, जो पति से भय खाती हैं या जो स्वयं पथभ्रष्ट होती हैं। वे स्वयं तो कुमार्ग पर चल कर भटकती ही हैं , साथ ही समाज व परिवार में भेद न खुल जाए, इस भय से पति को घूस में अन्य स्त्रयों से यौनाचार की स्वतन्त्रता भी दे देती हैं कभी-कभी तो ऎसे दंपती ग्रुप सेक्स से भी परहेज नहीं करते हैं। कई बार देखा गया है कि इन मनोरोगियों ने पिता-पुत्री, गुरू-शिष्या जैसे रिश्तों को भी कलंकित कर दिया है। हमारे समाज में अभी पुरूषों की अपेक्षा स्त्री सेक्स एडिक्टों की संख्या बेहद कम है, मगर वर्तमान परिस्थितियों को देख कर तो यही लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब सेक्स फीवर एक संक्रामक रोग की तरह सभी को अपनी चपेट में ले लेगा। इस की खास वजह है अधिक उम्र में शादी, अकेली युवतियों एवं महिलाओं का दूसरे शहरों में जाकर नौकरी करना और शीघ्र तरक्की के लालच में व्यभिचारी व्यक्तियों का सहयोग करना, प्रतिशोध की भावना के साथ पुरूषों से होड के लिए स्वयं सेक्स करना और खुशी महसूस करना, व्याभिचार की शिकार हो जाने पर विरोध न करना, अपनी झूठी तारीफ पाने के लिए स्वयं ही पुरूषों को अपनी तरफ आकर्षित करना, रूपए- पैसों की चाह में स्वयं को बेच देना आदि। सेक्स एडिक्ट अक्सर गर्भनिरोधकों के स्वच्छंद प्रचार-प्रसार व जानकारी का फायदा उठा कर उनके इस्तेमाल से निर्भय होकर यौनाचार कर लेते हैं। अधिक उम्र की बहुत सी विधवाएं किसी दूसरे मर्द से शादी तो नहीं करतीं, ऎसे में वे पति के मित्रों, देवर, जेठ, ससुर आदि से नाजायज संबंध बना लेती हैं। .

सेक्स की चाह कच्ची उम्र में किसी विशेष परिवेश में उत्तेजित होकर और महज उत्सुकतावश की गई शुरूआत भी आगे चल कर इस हसीन अनुभव को पेशे में बदल देती है। जिन लडकियों को इन क्रियाओं में मजा आने लगता है, वे स्वयं ही इस गलती को आदत में बदल देती हैं चाहे जो भी हो, कामपिपासा की अधिकता, हर समय सेक्स की चाह सेक्स एडिक्ट की दशा ही दर्शाती है, जिसे हम मनोरोग मान बैठते हैं। अधिकांश मामलों में बचपन में सेक्स के बारे में गलत जानकारी मनमस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल जाती है। दूष्ात माहौल में रहना, बडे शहरों में एक ही कमरे मे अनेक महिला-पुरूषों का एकसाथ सोना, सेक्स क्रिया में रत किसी जोडे को देख लेने के बाद स्वयं भी सेक्सरत होने की इच्छा पालना आदि सेक्स कुंठाओं को बढा देता है। .

सेक्सोलॉजिस्ट की सलाह- यदि आपके आसपास कोई व्यक्ति यौन विकृतियों का शिकार है, तो उसे फौरन किसी सैक्सोलॉजिस्ट के पास ले जा कर सलाह मशविरा करना चाहिए अन्यथा ऎसे व्यक्ति आगे चल कर डिपे्रशन के शिकार हो जाते हैं कभी-कभी इन के अंदर इतनी विक्षिप्तता घर कर जाती है कि ये स्वयं के लिए ही खतरनाक साबित हो सकते है। ऎसे लोगों द्वारा किसी का खून भी हो सकता है। सेक्स एडिक्ट व्यक्ति सारा दिन अपने शिकार की खोज में या फिर कैसे कामवासना शांत करे, इसी उधेडबुन में लगा रहता है लेकिन काउंसलिंग द्वारा ऎसे व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है। उसकी सेक्स इच्छा को बहुत हद तक शांत कर उसे सामान्य बनाया जा सकता है। ऎसे लोगौं का तिरस्कार न करें। इन्हें भी सामान्य मनोरोगी मानते हुए इन के साथ अच्छा व्यवहार करने की जरूरत होती है । सामान्य अवस्था में इन के साथ वार्तालाप करके, सैक्स पर चर्चा करके, असामान्य सेक्स व्यवहार से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी देकर भी समय-समय पर इन्हें सचेत करके कुमार्ग पर चलने से बचाया जा सकता है। सेक्स एडिक्ट के बारे में मालूम हो जाने के बाद अधिक समय तक उसे अकेले न रहने दिया जाए। ज्ञानवर्धक साहित्य पढने क ी आदत डाली जाए। गलत संगत से बचाने की हर संभव कोशिश की जाए। उसमें कोई ऎसा शौक जगाया जाए जो आदत में शुमार हो सके और फुर्सत के समय वह उसमें अपना मन लगा कर अपनी कुत्सित भावनाओं को स्वयं ही भूल सके व सही-गलत में फर्क कर सके। .

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